गर्भकालीन सेवा -शुश्रूषा केलिए सूतिका

Mother and her babyकोई भी स्त्री के जीवन में सबसे महत्वपूर्ण बात होती है की – ‘माँ बनना’। इस असुलभ अवसर केलिए क्या आप ही मात्र प्रतिक्षा करते है? बिलकुल नहीं , आपके पति , माँ -बाप , सास -ससुर और बन्धु- बाँधवा सब इसी आकांक्षा में ही है। एक स्त्री माँ बानने की तैयारी करते समय हि उसके माता पिता भी तैयारी कर लेते है। ( शायद पति से भी बढ कर)

एक माता के संबन्ध में गर्भकालीन सेवा -शुश्रूषा के समान ही महत्वपूर्ण बात होती है प्रसवोत्तर शुश्रूषाएं। हमारी 5000 वर्ष पुराने आयुर्वेद शास्त्र के अनुसार एक स्त्री की प्रसूतोत्तर 42 दिन की शुश्त्रूषायें 42 साल की तंदुरुस्ती पर असर डालती है। इन दिनों की हमारी शुश्रूषाएं, खाना-पीना,व्यायाम आदी सभी कार्य माँ की बाद की आरोग्यपूर्ण (तंदुरुस्ती युक्त ) एवं आमोद्पूर्ण जीवन पर बहुत बडा असर डालती है। भारत के जैसे चीन, कोलंबिया, जापान, आदि कई पुराने राष्ट्रों में भी उन्हीं के अपने तरीकें की प्रसूतोत्तर सेवा शुश्रूषायें प्रचार में है।

असावधानीपूर्वक और ठालता प्रसूतोत्तर सेवा-शुश्रूषाएं जलदि ही या कालोत्तर में कई रोगों के कारण बन जायेंगे। हमारे पूर्वज प्रसूतोत्तर सेवा-सुश्रूषा में कोई समझौता नहीं करते थे। आज के एक-दो बच्चों को जन्म देनेवाली मातावोम की अपेक्षा में उस समय आठ-नौ  बच्चों को जन्म देनेवाले हमारे पुरानी पीढ़ी की माँ हष्ट-पुष्ट और तंदुरुस्त रहने का रहस्य आयुर्वेद के आलावा और कुछ नहीं था।

लैंगिकता और प्रसुतोत्तर सेवा शुश्रूषा।

सुखपूर्वक और संतुष्ट दांपत्य में लैंगिकता का महत्वपूर्ण स्थान है। प्रसूतोत्तर सेवा-शुस्रूषा और लैंगिकता में सीधा संबन्ध नहीं ऐसा लगता है तो भी नियत एवं ठीक तौर की प्रसूतोत्तर सेवा शुश्रूषा भविष्य में उत्तम लैंगिक जीवन केलिए अनिवार्य है। प्रसूती के वक्त होनेवाले शारीरिक विकारों (बदलावों ) को ठीक करने केलिए, खास कर कोख को छोटा बनाने केलिए और ढीले हुए पेट को पूर्वस्थिति में बनाने केलिए तेल मलकर नहाना बहुत उपयोगी है। और बाद में कमर-दर्द होने की संभावना भी इससे दूर हो सकता है । स्वस्थ लैंगिकता केलिए , स्वस्थ शरीर केलिए और आकर्षक अंग सौष्ठव एवं सौन्दर्य केलिए प्रसूतोत्तर उपचार अनिवार्य है ।

ayurvedaसूतिका 

नई पीढ़ी की माताएं अब प्रसूतोत्तर उपचारों के बारे में अवगत है तो भी उच्च स्तर के आयुर्वेदिक उपचों को मिलने की परेशानी और प्रसुतोत्तर उपचार मे प्रशिक्षण प्राप्त योग्य आयुर्वेदिक उपचारकों की कमी के कारण ख़ास कर शहरों में इस प्रकार की आयुर्वेदिक उपचार बहुत लोगों को अप्राप्य है ।

सूतिका की भूमिका इसी पर है ।  सूतिका की दवायी उच्चस्तर की एवं जैविक माद्दो  से वैज्ञानिक रूप में तैयार करनेवाली आयुर्वेदिक दवाईयाँ है ।  प्रसवोत्तर परिचरण केलिए आवश्यक दवाईयां मिलाकर सात दिन  ,चौदह दिन और बयालीस दिन के अलग – अलग प्रसव परिचरण किट सूतिका ने निकाला है ।  इसके आलावा आवश्यक लोगों केलिए योग्य चिकित्सकों का प्रबन्ध भी करदेंगे । इसकेलिए केरला , बेंगलूर , दिल्ली , मुंबई  जैसे महानगरों में सौ से अधिक योग्य चिकित्सकों की नियुक्ति कराके  सूतिका ने बहेत्तर प्रसवोपरांत परिचरण लोगों के बीच पहुँचाते है ।

सूतिका हेल्ती मदर हेल्ती चइल्ड प्रोग्राम  लोकप्रियता एवं प्रधिकृता प्राप्त अवधारणा है 

wellness-soothika

प्रसवोपरांत माँ को होनेवाली परेशानियों और परिवर्तनों को समझकर पूर्णरूप से आयुर्वेद की भलाईयों को स्वीकार करके इस उपचार के द्वारा  माताओ की शारीरिक और मानसिक  आरोग्य और शक्ति को पूर्वस्थिति में लाती है । और नवजात शिशु को आवश्यक  उपचार देना इस चिकित्सा पद्धति का मुख्य उदेश्य है ।

प्रसव परिचरण केलिए साधारण गति मे हम जिन लोगों की नियुक्ति करते है -वै प्राय: इस कार्य केलिए वैज्ञानिक प्रशिक्षण नहीं लिए होंगें, इसलिए माँ और बच्चों को नहलाना , कपडे धोना आदी कार्य वे खुद करते है । इसलिए प्रसवोपरान्त परिचरण में बाधा पड़ती है । लेकिन सूतिका इससे बिलकुल अलग है ।  क्योंकि  प्रसवोपरांत परिचरण  में योग्यता प्राप्त चिकित्सकों से ही सूतिका कार्य कराते है ।

उपचार शुरू करने के पहले ही एक योग्यता प्राप्त डॉकटर तुम्हे बुलाकर तुम्हारी तंदुरस्ती की हालत और अन्य शारीरिक विशेशानाताओ के बारे में पूछ-ताछ करके आवश्यक उपदेश देते है । इस के द्वारा एक व्यक्ति के आरोग्य और शारीरिक स्थिती के (अनुयोज्य) अनुरूप
pregnancy kit newउपचार सूतिका दे सकता है । ज्यादा वसेदार और खानेवाले कोई भी दवा इस उपचार क्रम में न होने के कारन अनेक ख्यातिप्राप्त स्त्री चिकित्साकों (गाइनकालजिस्ट ने भी इस उपचार क्रम को हार्दिक प्रोत्साहन और समर्थन देकर इसे अधिक लोकप्रिय बना रहे है।

सूतिका के प्रसवोपरांत परिचर्य किट या  चिकित्सकों का आवश्यक है तो जल्दी संपर्क करें।

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